देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥ ९ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
इश्क के जाल में फंसाकर चल रहा ठगी का खेल, जानें क्या है इससे बचने का तरीका?
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
इसके लिए मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इसे देवी की तस्वीर के दाईं तरफ रखें.
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं more info क्षं फट् स्वाहा।
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